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30 Aug 2021 · 1 min read

मायूसी

बेजुबान होते है
पत्थर
तराशा गया है
उन्हें
इस खूबी से
मासूमियत का
इजहार करते
बच्चे जब भूखे हो
दाने पानी को
मोहताज
मासूमियत
दिल चीर देती है
सत्य को नंगा कर
देती है

कलियुग है
यहाँ अहिल्या जैसा
कोई पाषाण
शिलाखण्ड
नहीं है
जिसे आशा
हो
किसी राम की
या किसी
भगवान की
हो उद्वार करें
आकर

पाषाण खण्ड से
भी बदतर है
भविष्य उनका
बचपन ही
भयावना है
खुशहाल कल की
कैसे सोचूँ
अब कुछ इतना
फटेहाल
जीर्णशीर्ण कि
मन में
विरक्ति उपजने
लगती है

Language: Hindi
79 Likes · 1 Comment · 581 Views
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