Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2024 · 1 min read

मानव हो मानवता धरो

विचार ही विचित्र हो,
व्यवहार जो व्यथित करे,
बोल हो तो कर्कश ही,
सोच समझ से परे !

न रंग है न रूप है ,
न छांव है ना धूप है ,
न संग है ना साथ है,
ना ढंग की कोई बात है !

कौन जो अतिरेक द्वेष
पाल ह्रदय में जीते हैं
कैसा विभत्स क्रूर वेश
कैसे संवेदना से रीते हैं ।

रंग लहू का एक है ।
विधाता सबका नेक है ,
पर रोज़ समझ, विवेक है खोता
जमीर ,मानवता रोज़ ही रोता |

Language: Hindi
45 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
View all
You may also like:
"कर्ममय है जीवन"
Dr. Kishan tandon kranti
2) “काग़ज़ की कश्ती”
2) “काग़ज़ की कश्ती”
Sapna Arora
आज के युग में नारीवाद
आज के युग में नारीवाद
Surinder blackpen
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
Anand Kumar
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
खुशी पाने का जरिया दौलत हो नहीं सकता
नूरफातिमा खातून नूरी
एक फूल
एक फूल
अनिल "आदर्श"
.
.
Shwet Kumar Sinha
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
बुंदेली दोहा बिषय- बिर्रा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
Rj Anand Prajapati
कमीजें
कमीजें
Madhavi Srivastava
सम्मान
सम्मान
Paras Nath Jha
#नया_भारत 😊😊
#नया_भारत 😊😊
*प्रणय प्रभात*
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
शेखर सिंह
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
Awadhesh Singh
#अज्ञानी_की_कलम
#अज्ञानी_की_कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्रकृति
प्रकृति
लक्ष्मी सिंह
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
Neelofar Khan
मन के घाव
मन के घाव
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*नेता बूढ़े जब हुए (हास्य कुंडलिया)*
*नेता बूढ़े जब हुए (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
Ansh Srivastava
मैं तन्हाई में, ऐसा करता हूँ
मैं तन्हाई में, ऐसा करता हूँ
gurudeenverma198
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
देवों की भूमि उत्तराखण्ड
Ritu Asooja
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
Shweta Soni
3351.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3351.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
खुशबू सी बिखरी हैं फ़िजा
खुशबू सी बिखरी हैं फ़िजा
Sunita
चलो कुछ दूर तलक चलते हैं
चलो कुछ दूर तलक चलते हैं
Bodhisatva kastooriya
इतना बेबस हो गया हूं मैं ......
इतना बेबस हो गया हूं मैं ......
Keshav kishor Kumar
खेल भावनाओं से खेलो, जीवन भी है खेल रे
खेल भावनाओं से खेलो, जीवन भी है खेल रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...