मानव हो तो….
जीवन अनमोल मिला जग में,
जीवन की तो फिकर कर ले।
मानव हो तो मानव बनकर,
मानव हित में तो कुछ कर ले।
गर पाया सुंदर मनुज रूप,
मन को भी तो निर्मल कर ले ।
चंदा ना बन सके जुगनू बन,
दम भर जग ज्योतिर्मय कर ले।
हीरे मोती रखने से क्या?
भूख किसी का मिटा न सके,
दो वक्त की रोटी देकर के,
क्षुधा रंक का तू भर ले।।
मानव है तो करुणा कर ,
क्रोध अगन में काहे जले।
जलना ही है शमशान पर,
द्वेष गठर बाहर धर ले।।
रावण जस प्रतापी राजा ना,
बनना है तो श्रीराम बने,
शबरी की मर्यादा रख कर,
अहिल्या का उद्धार कर ले।।
ना उड़ उड़ान इतनी ऊँची,
छोटा अपना ही कद कर दे।
ना भूल कहा तू पला जन्मा,
उस धरा पर तू पाँव धर ले।।
सागर सा विस्तृत क्या होगा,
मीठा पानी जो दे ना सके ।
तूं कूप बनो, हो जल मीठा,
दुनिया को देकर मन हर ले ।।
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