मानवता हमें बचाना है
डरा रहा परिदृश्य विश्व का,हर ओर जंग के साए हैं
अशांत हुई सारी दुनिया,संकट के बादल छाए हैं
अपने अपने स्वार्थ सभी के,आपस में टकराए हैं
धर्म जाति नस्ल भाषा, अंचल के मुद्दे गहराए हैं
ताक पर रख मानवता को, लाशों के ढेर लगाए हैं
दुनिया में आतंक बढ़ा, विध्वंसक हथियार बनाए हैं
नहीं रहे मजहबी आचरण,सत शांति न दया क्षमा
मार रहे हैं काफ़िर कहकर, जन्नत में जाने पुण्य कमा
धरती पर विकसित सभ्यताएं,मानव कल्याण को आईं थीं
अपनी अपनी अनुभूतियों से, ईश्वर की धारणाएं आईं थीं
एक ही ईश्वर के इस जग में, सबने अपने नाम रखे
सबने मानव कल्याण के खातिर, अपने अपने ग्रंथ रचे
सत्य शांति दया क्षमा,हर मजहब धर्म के सार हैं
आचरण विना शिक्षाएं,सबकी सब वेकार हैं
कहीं जाति कहीं रंग भेद, कहीं अंचल पर छिड़ी लड़ाई है
हाहाकार मचा हुआ है, मानवता ने साख गंवाई है
धर्म के नाम पर हो रहा अधर्म, यही आज सच्चाई है
चुप बैठे हैं मानवता वादी, संगठित हुए अधर्मी हैं
धर्म के नाम पर अधर्म,,सहने वाले भी अधर्मी हैं
जागिए सभी मानवता वादी, शांति धरा पर लाना है
एक ही ईश्वर के नाम पर , नहीं मानव रक्त बहाना है
सारी दुनिया में मिलकर, मानवता हमें बचाना है
सारी धरती पर हमको, सुख समृद्धि लाना है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी