Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2020 · 1 min read

मातृ दिवस

मां

बेटा बेटी सोच मन आसा,
बहुत मुस्कुरा जाती हैं मां,।

देती जन्म जब बालक को ,
सुन्दरता को त्यागी हैं मां,।

नौ माह जब उसने कोख में धारा,
सारे दुःख दर्द छुपाती मां,।

खुद तो रह जाये भूंखी प्यासी,
हमकों भोजन खिलाती मां,।

जब बेटा बेटी होते बीमार,
हर दुःख दर्द से बचाती मां,।

अमृत सा हैं नाम उसका,
हमें माफ़ी दे जाती मां,।

जीवन उसके साथ लगे निर्मल,
लाखों दुआएं दे जाती मां,।

देख हमारी जरूरतों को,
उनको पूरी करवाती मां,।

देख कामयाबी बेटा बेटी की,
बहुत मन में हर्षाती हैं मां,।

जीवन के इस हर मोड़ पर,
हमें याद आती हैं मां,।

बेटा बेटी सोच मन आसा,
बहुत मुस्कुरा जाती हैं मां,।।

मातृ दिवस,
जन्म जननी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

लेखक—Jayvind Singh Ngariya ji

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
जीवन जोशी कुमायूंनी साहित्य के अमर अमिट हस्ताक्षर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोस्त न बन सकी
दोस्त न बन सकी
Satish Srijan
कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
Shweta Soni
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
Dard-e-madhushala
Dard-e-madhushala
Tushar Jagawat
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बीरबल जैसा तेज तर्रार चालाक और समझदार लोग आज भी होंगे इस दुन
बीरबल जैसा तेज तर्रार चालाक और समझदार लोग आज भी होंगे इस दुन
Dr. Man Mohan Krishna
तेरी चाहत में सच तो तुम हो
तेरी चाहत में सच तो तुम हो
Neeraj Agarwal
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
युवा संवाद
युवा संवाद
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हर ज़ख्म हमने पाया गुलाब के जैसा,
हर ज़ख्म हमने पाया गुलाब के जैसा,
लवकुश यादव "अज़ल"
गौरैया बोली मुझे बचाओ
गौरैया बोली मुझे बचाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
विद्रोही प्रेम
विद्रोही प्रेम
Rashmi Ranjan
When life  serves you with surprises your planning sits at b
When life serves you with surprises your planning sits at b
Nupur Pathak
2) “काग़ज़ की कश्ती”
2) “काग़ज़ की कश्ती”
Sapna Arora
बात ! कुछ ऐसी हुई
बात ! कुछ ऐसी हुई
अशोक शर्मा 'कटेठिया'
चाँदनी .....
चाँदनी .....
sushil sarna
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
जिंदगी उधार की, रास्ते पर आ गई है
Smriti Singh
भगवान ने जब सबको इस धरती पर समान अधिकारों का अधिकारी बनाकर भ
भगवान ने जब सबको इस धरती पर समान अधिकारों का अधिकारी बनाकर भ
Sukoon
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"दो नावों पर"
Dr. Kishan tandon kranti
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
शेखर सिंह
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कोई भी
कोई भी
Dr fauzia Naseem shad
"भीषण बाढ़ की वजह"
*Author प्रणय प्रभात*
मेरे गली मुहल्ले में आने लगे हो #गजल
मेरे गली मुहल्ले में आने लगे हो #गजल
Ravi singh bharati
💐प्रेम कौतुक-530💐
💐प्रेम कौतुक-530💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपनी धरती कितनी सुन्दर
अपनी धरती कितनी सुन्दर
Buddha Prakash
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
अब कुछ बचा नहीं बिकने को बाजार में
Ashish shukla
*राजनीति का अर्थ तंत्र में, अब घुसपैठ दलाली है 【मुक्तक】*
*राजनीति का अर्थ तंत्र में, अब घुसपैठ दलाली है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
Loading...