माता पिता जीवन की बुनियाद
जिंदगी के हर सफे में, छुपी बुनियाद होती है
हर एक ऊंचाई में तेरी, दबी बुनियाद होती है
खड़े हो जिन मुकामों पर, परवरिश की ईट होती है
मां बाप की मेहनत कड़ी, त्याग की भेंट होती है
तुम्हारी हर एक शोहरत में, दबी बुनियाद होती है
लगती है पूरी जिंदगी, संतान आबाद होती है
व्यक्तित्व के निर्माण में, संस्कारों की खाद होती है
हर ऊंचाई के नीचे, दबी बुनियाद होती है
खड़े हैं अविचल सदा, आंधी और तूफान में
नाम करते हैं बही, दुनिया जहान में
उनकी जड़ों में पड़ी, पक्की बुनियाद होती है
माता पिता के श्रम की, पड़ी जब खाद होती है
उनके दृढ़ इरादों से, संतति आबाद होती है
जो अपनी बुनियाद से, हमेशा प्यार करते हैं
खड़े रहते हैं सीना तान के, इतिहास रचते हैं
जड़ों को भूलने वाले, हर वक्त गिरते हैं
ना भूलना कभी तुम, ऊंचाई पर जाकर
तुम्हारी बुनियाद के नीचे भी, एक बुनियाद होती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी