!! मां !!
मां तो मां ही है
मां की छवि न्यारी है
मां सृष्टि की अनुपम रचना
दुनिया मां की आभारी है ।
मां सृष्टि की संचालक है
वह सब जीवों की पालक है
मां कष्टो की संघारक और
वह ही जीवन की उद्धारक है ।
उसकी आंचल की छांवों मे
जब-जब जीवन पलता है
तन-मन स्वस्थ रहता और
मां का मन भी फलता है ।
मां प्रथम गुरू है संतानो की
वह शीतल चंदन की छाया
मां मानसरोवर की तृप्ति
वह परिवारिक ममता की माया ।
हे मां तुमको नमन करे
हृदयाञ्चल में स्थापित हो
मन भावो मे बस जाओ मां
ना कभी विस्थापित हो ।