मां
मां की ममता तन में मेरे ,मां जीवन का सार है,
कष्ट कभी जो पड़े पुत्र पर,मां जीवन उद्धार है।
खुद कष्टों को सह लेती है,मुख से उफ़ न कहती है,
मगर पुत्र को धूप लगे तो,आँचल से तन ढकती है।।
मां ही तन है मां ही मन है,मां जीवन का सार है,
मां के बिना मानव है अधूरा,माँ जीवन आधार है ।
मां की हथेली सिर पर आते, मिटती थकावट दिनभर की,
मां आशीष मिले जब जिसको,कटती विपदा पल-पल की।।
ममता का उजाला हो जिसमें,वह दीपक मां बन जाती है,
बेटे का सपना पले सीप में,तो सीप कवच बन जाती है।
रहमत का मां के छोर नहीं ,न सृष्टि में तुलना है तेरी,
मां के चरणों में चार धाम,मां ही अब जन्नत है मेरी ।।
मां की ममता …………………….
कष्ट कभी जो पड़े…….………….……..………….।