मां
मां ही ममता है
मां ही छाया
इस जहां में मां की
जगह विधाता भी कहा ले पाया
बालक को चोट लगती है
मां छटपटाटी है सीने से
लगाके उसे चुप कराती है
मां की ममता सबके लिए
एक समान है
उसके प्यार में न भेद न कटासपान है
मां ही ममता है
मां ही छाया
इस जहां में मां की
जगह विधाता भी कहा ले पाया
बालक को चोट लगती है
मां छटपटाटी है सीने से
लगाके उसे चुप कराती है
मां की ममता सबके लिए
एक समान है
उसके प्यार में न भेद न कटासपान है