मां
मां सिर्फ स्त्री नहीं थी
वह आंगन थी
चूल्हा थी
भोजन की थाली थी ।
वह पेड़ थी
छाया थी
खुशी थी खुशहाली थी
**धीरजा शर्मा***
मां सिर्फ स्त्री नहीं थी
वह आंगन थी
चूल्हा थी
भोजन की थाली थी ।
वह पेड़ थी
छाया थी
खुशी थी खुशहाली थी
**धीरजा शर्मा***