Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

मां तुम बहुत याद आती हो

“मां तुम बहुत याद आती हो”
पहले मेरी एक मामूली सी छींक पर तुम चिंतित हो जाती थी,
डांट डपटकर घरेलू नुस्खों के साथ कड़वी दवा भी पिलाती थी,
अब कोई नहीं जो तबियत पूछे मेरी,
मां तुम बहुत याद आती हो…….

कहीं आते जाते हर बार मुझे पूछा करती थी, नहीं दिखता घर में तो तुम चिंता करती थी,
रात में बाहर घूमने से मना भी करती थी,
मां तुम बहुत याद आती हो…….

घर में तुम्हारी आवाज सुनने को मेरे कान तरसते हैं,
नहीं सुनकर तुम्हारी आवाज मेरे आंसू बरसते हैं,
अब वो मधुर आवाज बस यादों में है,
मां तुम बहुत याद आती हो…….

काश तुम नहीं जाती मां मैं अकेला नहीं होता,
याद करते हुए तुमको मां मैं यूं नहीं रोता,
क्यों छोड़ गई मुझको तुम मां,
मां तुम बहुत याद आती हो…….

याद में तेरे आंचल के ये सिर झुका हुआ रहता है,
जीवन में सबकुछ होकर भी कुछ खाली सा लगता है,
सब दोबारा मिल सकते हैं पर मां नहीं मिल सकती,
मां तुम बहुत याद आती हो, मां तुम बहुत याद आती हो।।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर छत्तीसगढ़

2 Likes · 112 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
अधूरी रह जाती दस्तान ए इश्क मेरी
इंजी. संजय श्रीवास्तव
🍇🍇तेरे मेरे सन्देश-1🍇🍇
🍇🍇तेरे मेरे सन्देश-1🍇🍇
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
काश तुम ये जान पाते...
काश तुम ये जान पाते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
“बधाई और शुभकामना”
“बधाई और शुभकामना”
DrLakshman Jha Parimal
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
सत्य कुमार प्रेमी
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
*होली के रंग ,हाथी दादा के संग*
Ravi Prakash
मेरी हकीकत.... सोच आपकी
मेरी हकीकत.... सोच आपकी
Neeraj Agarwal
#पैरोडी-
#पैरोडी-
*प्रणय*
गरीबों की जिंदगी
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कदम जब बढ़ रहे
कदम जब बढ़ रहे
surenderpal vaidya
नाजुक -सी लड़की
नाजुक -सी लड़की
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
चिरैया पूछेंगी एक दिन
चिरैया पूछेंगी एक दिन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्
जो व्यक्ति दुःख और सुख दोनों में अपना सहमति रखता हो वह व्यक्
Ravikesh Jha
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
Rituraj shivem verma
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
लौह पुरुष - दीपक नीलपदम्
लौह पुरुष - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
.
.
Amulyaa Ratan
मुझे पहचानते हो, नया ज़माना हूं मैं,
मुझे पहचानते हो, नया ज़माना हूं मैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
" सोहबत "
Dr. Kishan tandon kranti
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
कवि रमेशराज
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
प्रेम को भला कौन समझ पाया है
Mamta Singh Devaa
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
gurudeenverma198
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
*हिन्दी हमारी शान है, हिन्दी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
मन मुकुर
मन मुकुर
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
3277.*पूर्णिका*
3277.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नसीबों का मुकद्दर पर अब कोई राज़ तो होगा ।
नसीबों का मुकद्दर पर अब कोई राज़ तो होगा ।
Phool gufran
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
Shivkumar Bilagrami
दो लॉयर अति वीर
दो लॉयर अति वीर
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...