Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2024 · 1 min read

*मृत्युलोक में देह काल ने, कुतर-कुतर कर खाई (गीत)*

मृत्युलोक में देह काल ने, कुतर-कुतर कर खाई (गीत)
_______________________
मृत्युलोक में देह काल ने, कुतर-कुतर कर खाई
1)
छप्पन भोग छतीसों व्यंजन, कोठी महल दुमहले
धरे रह गए धनवानों के, कहते सेहत पहले
चिता काठ की जली काठ के, तन में आग लगाई
2)
मस्ती में बीता क्षण-यौवन, दीर्घ बुढ़ापा आया
लाठी देकर गया हाथ में, क्षत-विक्षत सब काया
रोग लगे हैं तन को सौ-सौ, नहीं तनिक सुनवाई
3)
कोई पड़े-पड़े बिस्तर पर, अंतिम दौर बिताता
कोई छोड़-छाड़ घर अपना, डेरा दूर बसाता
अंतिम सॉंस कठिन लेना ज्यों, दूभर हुई चढ़ाई
4)
धन्य-धन्य वह जीवन जो प्रभु, चरण-धूलि को पाता
तन के भीतर छिपा अजन्मा, ढूॅंढ-ढूॅंढ जो लाता
सफल हुआ नश्वर तन उसका, मुक्ति उसी ने पाई
मृत्युलोक में देह काल ने, कुतर-कुतर कर खाई
———————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
118 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
बेटा पढ़ाओ कुसंस्कारों से बचाओ
बेटा पढ़ाओ कुसंस्कारों से बचाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सुबह की एक कप चाय,
सुबह की एक कप चाय,
Neerja Sharma
2561.पूर्णिका
2561.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सिकन्दर बनकर क्या करना
सिकन्दर बनकर क्या करना
Satish Srijan
एक एहसास
एक एहसास
Dr fauzia Naseem shad
सत्य जब तक
सत्य जब तक
Shweta Soni
जिंदगी की उड़ान
जिंदगी की उड़ान
Kanchan verma
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
पूर्वार्थ
राजनीति
राजनीति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हज़ारों साल
हज़ारों साल
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
Manu Vashistha
मैं राम का दीवाना
मैं राम का दीवाना
Vishnu Prasad 'panchotiya'
"पर्सनल पूर्वाग्रह" के लँगोट
*Author प्रणय प्रभात*
अधूरी प्रीत से....
अधूरी प्रीत से....
sushil sarna
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कौन करता है आजकल जज्बाती इश्क,
कौन करता है आजकल जज्बाती इश्क,
डी. के. निवातिया
तुम्हारी हँसी......!
तुम्हारी हँसी......!
Awadhesh Kumar Singh
आंखों में भरी यादें है
आंखों में भरी यादें है
Rekha khichi
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
भारी संकट नीर का, जग में दिखता आज ।
Mahendra Narayan
' जो मिलना है वह मिलना है '
' जो मिलना है वह मिलना है '
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती
अगर शमशीर हमने म्यान में रक्खी नहीं होती
Anis Shah
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
नन्ही परी
नन्ही परी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
सिर्फ तुम
सिर्फ तुम
Arti Bhadauria
धुंधली यादो के वो सारे दर्द को
धुंधली यादो के वो सारे दर्द को
'अशांत' शेखर
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
Sanjay ' शून्य'
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी
Seema gupta,Alwar
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...