Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2022 · 1 min read

मां के जाने के बाद पिता बदल रहे हैं

जिनकी बातें थी रौबदार
जिनको खाना पसंद चटकदार
अब वह सादा खाना खाकर भी
खुश रहना सीख रहे हैं
माँ के जाने के बाद पिता बदल रहे हैं।
किसी कार्यक्रम में अगर जाते
दब दब उजला कुर्ता पजामा पहनते
मुंह में पान दबाते इत्र लगाते
आज बिना इस्त्री कपड़ा पहनना सीख रहे हैं
माँ के जाने के बाद पिता बदल रहे हैं।
मां के बिना जो एक पल नहीं रहते
अकेलापन जो कभी पसंद नहीं करते
पूरे परिवार को एक सूत्र में पिरोते
अब अकेले रहना सीख रहे हैं
माँ के जाने के बात पिता बदल रहे हैं।
जो बच्चों की सारी जरूरतें पूरी करते
बूढ़ी आंखों में कई ख्वाब सजाते
बेटे बहू के अर्थशास्त्र को समझते
अपने ऊपर खर्च के हिसाब जोड़ रहे हैं
माँ के जाने के बाद पिता बदल रहे हैं।
पिता तो आखिर पिता है
खुशियां खोज ही लेते हैं
पोते पोतियो का अपनत्व पा रहे हैं
उनकी उंगली पकड़ जीना सीख रहे हैं
माँ के जाने के बाद पिता बदल रहे हैं।
__चारूमित्रा

5 Likes · 8 Comments · 225 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
डूबें अक्सर जो करें,
डूबें अक्सर जो करें,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
प्रेम सुधा
प्रेम सुधा
लक्ष्मी सिंह
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
कवि दीपक बवेजा
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
बाल गीत
बाल गीत "लंबू चाचा आये हैं"
अटल मुरादाबादी, ओज व व्यंग कवि
*इस बरस*
*इस बरस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ऐसे हंसते रहो(बाल दिवस पर)
ऐसे हंसते रहो(बाल दिवस पर)
gurudeenverma198
आत्मस्वरुप
आत्मस्वरुप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मै अपवाद कवि अभी जीवित हूं
मै अपवाद कवि अभी जीवित हूं
प्रेमदास वसु सुरेखा
अच्छा लगना
अच्छा लगना
Madhu Shah
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
सबका भला कहां करती हैं ये बारिशें
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
Meenakshi Masoom
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पथ सहज नहीं रणधीर
पथ सहज नहीं रणधीर
Shravan singh
-        🇮🇳--हमारा ध्वज --🇮🇳
- 🇮🇳--हमारा ध्वज --🇮🇳
Mahima shukla
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
मुक्तक...छंद-रूपमाला/मदन
डॉ.सीमा अग्रवाल
"स्वस्फूर्त होकर"
Dr. Kishan tandon kranti
कहते हैं लोग
कहते हैं लोग
हिमांशु Kulshrestha
कर लो कभी
कर लो कभी
Sunil Maheshwari
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
Anand Kumar
राम मंदिर
राम मंदिर
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
2782. *पूर्णिका*
2782. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वहां पथ पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूल न हों।
वहां पथ पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूल न हों।
Slok maurya "umang"
दुखों का भार
दुखों का भार
Pt. Brajesh Kumar Nayak
माँ महान है
माँ महान है
Dr. Man Mohan Krishna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
■ सार संक्षेप...
■ सार संक्षेप...
*प्रणय प्रभात*
गुजरा वक्त।
गुजरा वक्त।
Taj Mohammad
"ज्ञ " से ज्ञानी हम बन जाते हैं
Ghanshyam Poddar
होकर उल्लू पर सवार
होकर उल्लू पर सवार
Pratibha Pandey
Loading...