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6 Feb 2024 · 1 min read

आओ कभी स्वप्न में मेरे ,मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।

आओ कभी स्वप्न में मेरे,
मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।

मां तुम्हें पैगाम लिखूं ,
खत आप के नाम लिखूं ।
बदहाल मन का हाल लिखूं ,
आओ कभी स्वपन में मेरे ………..

याद करा देना वो दिन बचपन के ,
खिलाती थी सिर पर हाथ रख करके।
आशीष देती थी बढ़-चढ़ करके,
आओ कभी स्वपन में मेरे ………….

कहां गई मां मुझे छोड़कर ,
मुझसे यूं नाता तोड़ कर।
इस तरह यू मुख मोड़ कर ,
आओ कभी स्वपन में मेरे…………..

यादों का दीपक बुझ गया ,
आंखों का पानी सूख गया।
तन बन तिनका टूट गया।
आओ कभी स्वपन में मेरे…………..

यूं रूठ कर क्या कोई जाता है,
क्या मुड़कर नहीं वापस आता है।
दिल पर भारी चोट दे जाता है,
आओ कभी स्वपन में मेरे………….

सतपाल चौहान

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 272 Views
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