Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2022 · 1 min read

मां (कविता)

मां के चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता है
उसका नन्हा सा आंचल ही
भूमंडल–सा लगता है

मैं उसका राजा बेटा हूं
आंखों का तारा कहती है
मैं बनूं बुढ़ापे में उसका
बस एक सहारा कहती है

बालों को नोचा करता था
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी मां ने पुचकारा था
बाहों में भर कर प्यार किया

उंगली को पकड़ चलाया था
पढ़ने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज–अंतर में
सदा सहेजा था

मेरे सारे प्रश्नों की वो
फौरन जवाब बन जाती है
मेरी राहों के कांटे चुन
वह खुद गुलाब बन जाती है

मां जिसको भी जल दे दे वह
पौधा संबल बन जाता है
मां के चरणों को छू कर तो
पानी गंगाजल बन जाता है

गर मां अपमानित होती है
तो धरती भी फट जाती है
मां की ममता देख मौत भी
पीछे ही हट जाती है

©अभिषेक पाण्डेय अभि

45 Likes · 10 Comments · 321 Views

You may also like these posts

*सीखें हिंदी गर्व से, इसमें बसता देश (कुंडलिया)*
*सीखें हिंदी गर्व से, इसमें बसता देश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आंखों का काजल
आंखों का काजल
Seema gupta,Alwar
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
Sonam Puneet Dubey
*आहा! आलू बड़े मजेदार*
*आहा! आलू बड़े मजेदार*
Dushyant Kumar
मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।
मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।
Arvind trivedi
अपना दिल तो ले जाओ जो छोड़ गए थे
अपना दिल तो ले जाओ जो छोड़ गए थे
Jyoti Roshni
बेखबर
बेखबर
seema sharma
हे ईश्वर
हे ईश्वर
Ashwani Kumar Jaiswal
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय*
Loved
Loved
Rituraj shivem verma
ओ मेरी सोलमेट जन्मों से - संदीप ठाकुर
ओ मेरी सोलमेट जन्मों से - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
विचार और भाव-2
विचार और भाव-2
कवि रमेशराज
Zbet– nơi bạn khát khao chinh phục những đỉnh cao thắng lợi
Zbet– nơi bạn khát khao chinh phục những đỉnh cao thắng lợi
zbetdoctor
प्रश्नों का प्रासाद है,
प्रश्नों का प्रासाद है,
sushil sarna
- अपनो के बदलते रंग -
- अपनो के बदलते रंग -
bharat gehlot
मेरा भारत जिंदाबाद
मेरा भारत जिंदाबाद
Satish Srijan
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
बाबू जी की याद बहुत ही आती है
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
पद्मावती छंद
पद्मावती छंद
Subhash Singhai
*मौत मिलने को पड़ी है*
*मौत मिलने को पड़ी है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपनी सरहदें जानते है आसमां और जमीन...!
अपनी सरहदें जानते है आसमां और जमीन...!
Aarti sirsat
मेरी कलम
मेरी कलम
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
खुल गया मैं आज सबके सामने
खुल गया मैं आज सबके सामने
Nazir Nazar
आजमाइश
आजमाइश
Dr.Pratibha Prakash
मंजिल नहीं जहां पर
मंजिल नहीं जहां पर
surenderpal vaidya
"I having the Consistency as
Nikita Gupta
पढ़ रहा हूँ
पढ़ रहा हूँ
इशरत हिदायत ख़ान
चंदा
चंदा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
पूर्वार्थ
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
Loading...