माँ
माँ
सृष्टि
स्पंदन
अनुभूति
सप्त स्वर में
गूँजता संगीत
वट वृक्ष की छाँव।
माँ
आँसू
ममता
सम्वेदना
गोद में लोक
जीवन आलोक
निर्झर-सा प्रवाह।
माँ
शब्द
क़लम
रचना है
कैनवास है
सनी है रंग में / कूची चित्रकार की।
© रवीन्द्र सिंह यादव
नई दिल्ली / इटावा (उत्तर प्रदेश )