!! पंछी का दर्द भी समझो इंसानों !!
पंछी आंसू बहाते हैं
पर कह नहीं सकते किसी से
तुम तो आंसू बहा कर
जता तो देते हो सभी को !!
दर्द उनका कोई समझता नहीं
दर्द पर दर्द दे देते हैं लोग
कभी हाथ से सहला कर देखो
परिंदों के भी भाव होते हैं दुनिया वालो !!
किसी से बयां नहीं कर पाते
बस आंसू बहा दिया करते हैं
एक तीर से जब घायल करता है कोई
अपने आंसू खुद ही वो पी लेते हैं !!
न उजाड़ देना घर उनका
उनको भी परिवार प्यारा होता है
जैसे तुम सीने से लगाते हो अपनों को
उनका भी ऐसा ही नजारा होता है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ