माँ
भ्रूण रूप ले गर्भ में आया
माँ की है वरदान ये काया
माँ है रचयिता माँ जननी है
माँ के दम पर सृष्टि बनी है
माँ है धरती माँ अम्बर है
माँ बच्चे का पहला घर है
रचती रहती तन सुन्दर जो
माँ की कोख ही है ईश्वर वो
माँ कुदरत की अमोघ शक्ति है
हृदयांतर की अमिट भक्ति है
माँ है मस्जिद माँ ही मंदिर
माँ गुरुद्वारा माँ गिरजाघर
माँ अद्भुत है माँ अनुपम है
दैवी शक्ति का संगम है
तीव्र धूप में छत्र सघन है
माँ का आँचल गोवर्धन है
माँ की दुआ हर सच होती है
माँ की गोद कवच होती है
माँ पूजा है माँ मन्नत है
माँ के चरण में ही जन्नत है
माँ गीता है माँ गंगा है
माँ ने ही जीवन रंगा है
दूध पिलाती मल धोती है
संस्कार दे कल धोती है
अक्षर-अक्षर शब्द बनाए
माँ ही प्रथम गुरू कहलाए
रोशन तारा और न कोई
माँ से प्यारा और न कोई
इकलौता सच्चा प्यार है माँ
जीवन का आधार है माँ
कष्ट सभी सह लेती है ये
दुख खुद से कह लेती है ये
सबसे उज्जवल सबसे निर्मल
सबसे प्यारी सबसे सुन्दर
माँ प्रताप से घबराता है
ऊँचा पर्वत गहरा सागर
माँ के जैसा बोल न कोई
माँ की तरह अनमोल न कोई
माँ सीपी की सुंदर मोती
माँ अखंड सूरज की ज्योती
माँ चंदा की शीतलता है
माँ नदियों की चंचलता है
माँ पुष्पों की पावन खुशबू
माँ का अर्चन करें स्वयं भू
माँ है शीतला माँ काली है
माँ दुर्गा शेरोंवाली है
आओ जीवन सफल बनाएं
हम सब माँ को शीश झुकाएँ