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24 Nov 2018 · 1 min read

‘ माँ ‘

.

माँ की उंगली थाम
तो पूरा बचपन बीता
नहीं खबर थी हमको
माँ पर क्या -क्या बीता
माँ क्या होती है,
ये सच हमने ,तब जाना
जब मैंने ‘बेटी ‘ को
अपने भीतर जाना
कितनी छायादार वृक्ष सी
होती है ‘वो’ खुदको गला,तपाकर
हमको ‘सेती’ है ‘वो’
माँ और ममता दोनों
जुड़वा बहनों जैसी
माँ में तो ममता की
निर्झरिणी है बहती
अभी भी , कभी मन
उदास जब हो जाता है
माँ का आंचल सोच -सोच
ही सुख पाता है……….

डा अनुपम शाही
वाराणसी

8 Likes · 30 Comments · 335 Views
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