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16 Nov 2018 · 1 min read

माँ

माँ….. सपनो की तसवीर हो तुम
खुशिओ का पैगाम हो तुम, अंत भी तुम, आरंभ भी तुम
इस धूप छाओ के देश मे, सच्चाई की मूरत हो तुम।

शीतल जल सी निर्मम हो तुम, देवी का हर स्वरुप तुम
ज्ञान का भंडार हो, मुश्किलों में काली का रूप हो
तेरे हर रूप को माँ, अब धीरे-धीरे समझा है
डांट मे तेरी हर सीख को अब पहचाना है ।

माँ…., तुम ही तो हो, जिसने जीना सिखाया,
मुस्किलो मे हसना सिखाया, सपनो को उड़ना सिखाया
चाहे गलती हो कोई भी माँ कभी ना रूठती है
हम चले ना चले माँ साथ कभी ना छोरती है।

माँ…… माँ जिसने अपने सपनों को छोरा, अपनों से नाता तोरा
तुमने हमारे लिए अपना अस्तित्व तक बदला।
बच्चो की एक मुस्कान पे माँ खिलखिलाके हसती है,
उनकी खुशिया देख माँ खुद भी बच्ची बन जाती है।

माँ…..शांति का प्रतिक तुम, जीवन का लक्ष्य भी तुम
सहेली हो हमराज़ भी हो, माँ मेरा पहला प्यार हो तुम।

क्या लिखू और तेरे बारे मे माँ….
पन्ने कम पर जाएंगे, पर ये भी तो सच है ना माँ…..
लिखते-लिखते हम और करीब आ जाएंगे।।

मिनोल्टा ओसवाल (भन्साली)
पश्चिम बंगाल

Language: Hindi
13 Likes · 6 Comments · 814 Views
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