माँ
——-माँ——–
माँ , माँ खुशी है, ममता है, प्यार है
माँ , माँ की महिमा अपरम्पार है
माँ , माँ है तो ये संसार है
माँ , माँ ही जन्नत है, स्वर्ग का द्वार है
माँ , माँ ईश्वर का अवतार है
माँ , माँ बिन सब निराधार है
माँ , माँ पिता है बहन है,भाई है
माँ , माँ की महिमा सब ने गाई है
माँ , माँ ब्रह्मा, विष्णु, महेश है
माँ , माँ दुर्गा का अवशेष है
माँ , काली है, लक्ष्मी है, पार्वती है
माँ , माँ पूजा की आरती है
माँ , माँ अंधेरे में दीपक समान है
माँ , माँ ईश्वर का गुणगान है
माँ , माँ वट वृक्ष सी छाया है
माँ , माँ ही धन-दौलत है,माया है
माँ , माँ फूलों में गुलाब है
माँ , माँ ही राजा है, नवाब है
माँ , माँ छंद है,कविता है, अलंकार है
माँ , माँ शब्द ही महाकाव्य साकार है
बलबीर सिंह वर्मा
रिसालियाखेड़ा, सिरसा (हरियाणा)