माँ
माँ
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ऐ माँ
तूने ना जाने कितनी दुआऐं मेरे लिये मांगी थी कि,
मेरे हर कदम पे तेरी; तेरी दुआयें साथ चलती हैं ।
मैं गिर पडुं; इससे पहले ही तेरी दुआऐं मुझे थाम लेती हैं।
ऐ माँ
यदि तुझे शब्दों में लिखुं ,
सबसे सुन्दर शब्द है तू,
यदि तुझे गा के पुकारुं ,
सबसे सुन्दर राग है तू
ऐ माँ
तेरे आँचल से बडा आसमाँ भी क्या होगा
रब भी तुझे देख हैरां होता होगा
ऐ माँ
ऐ माँ
सुमित्रा ‘अपराजिता’
मौलिक ‘स्वरचित’ ओड़िसा ‘भूवनेश्वर’