माँ
माँ
** अरुण प्रदीप शर्मा
गर्मी की तपती धूप में
बरगद सी छाया देती
बादल जो उमड़ घुमड़ डराए
छाती से है तू लिपटाती
सर्दी की ठिठुरन में तू माँ
बगल में अपनी दुबकाती
भर पेट खिलाकर बच्चों को
भूखी प्यासी भी सो जाती
कितनी भी नाकारा औलाद
करती उनके गुण अथक बयां
ईश्वर की भी तो मूरत ना
तुझसे सुंदर हो सकती माँ
©® Arun sharma
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अरुण शर्मा
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