माँ सरस्वती वंदना
वीणा वादिनी ,मातु सरस्वती, स्वर सम्राज्ञी तुम्हें नमन ।
तुम्हरे आशीर्वाद से माता सबकी बुद्धि हो पावन।
कुंभकरण ने किया तप भारी, इंद्रलोक पर दृष्टि डारी ।
तुम ज्यों ही जिब्हा पर बैठी, इंद्रासन हुआ निद्रांसन ।।
वीणा वादिनी मां तू सरस्वती……………………..
वाल्मीकि अती दीन दुखारी, अधमी, अज्ञानी, आभारी। आपने ऐसी कृपा दिखा दी, रामायण किया शुभारंभ । वीणा वादिनी मांतु सरस्वती…………………………..
रावण वध की युक्ति भारी, राज्यअभिषेक की फिरी मुनादी। केकैयी की मति ऐसी फेरी ,वन को गये रघु सीता संग ।
वीणा वादिनी मां तू सरस्वती……………………………
अब की मेरी बारी है मैया, कृपा दृष्टि अब मुझ पर डालो
मेरी लेखनी को तुम साधो, भरो ज्ञान का भंडारण
वीणावादिनी मातु सरस्वती………………………….