माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
#जयमाँ
मां सरस्वती अन्तर्मन में,
इक बार तु दर्शन दे दो मांँ।
यह भाग्य मेरा सुधर जाये,
मम मस्तक चंदन दे दो मांँ।
मै आँख मे निज तुझे ढूँढूँ ,
मुझे ज्ञान अंजन दे दो मांँ
माँ सरस्वती अन्तर्मन में,
इक बार तु दर्शन दे दो मांँ।
माँ मेरी पहुँच नही तुझ तक,
उर कंटक संकट दूर करो।
राहों पे ज्ञान के चलता रहूं,
गति कम ना हो मति गूढ़ भरो।
मैं माया में ना खो जाऊं,
मुझमें इक सज्जन दे दो मां।।
माँ सरस्वती अन्तर्मन में,
इक बार तु दर्शन दे दो मांँ।
मन देश काल का ध्यान रखे,
दुश्मन आँखों का भान रखे।
हर वर्णों में हर शब्दों में
तलवार लें और म्यान रखें।
मैं तेरा नित वन्दन गाऊं,
ऐसा इक वन्दन दे दो माँ।
मांँ सरस्वती अन्तर्मन में,
इक बार तु दर्शन दे दो मांँ
हर रोग शोक से दूर रहूं,
मां भक्ति भाव सम्पूर्ण रहूं ।
हृदय तम से हो दूर सदा ,
तेरी इच्छा अनुरूप रहूं।
मैं रोऊं तो मुझे सुन रहे
ऐसा ही क्रंदन दे दो मां ।
माँ सरस्वती अन्तर्मन में,
इक बार तु दर्शन दे दो मांँ।
–‘प्यासा’