Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2022 · 1 min read

माँ +माँ = मामा

मेरी माँ से बढ़कर दो माँ माँ हो
क्या कहें कि क्या से क्या हो,
तुच्छ तृण को स्वर्ण बनाया
माना मैंने की तुम ही खुदा हो l

शब्द नहीं जो वर्णित कर दू
कद नन्हा पर काव्य न रच दू,
भाव भवर में भ्रमित भान का
प्रेम प्रबल में अपराध न कर दू l

तर्पण सच्चा सत्य प्रतिष्ठा हो
हम कैसे मानें की इंसान हो,
बरबस आते हो हर पीड़ा में
क्यों ना तुमको सब अर्पण हो l

दीन हीन के दिन बदले है
काले थे बादल अब उजले है,
छटी घटा जो घोर घन्य थी
श्याह निशा के तुम दिनकर हो l

ओजस्वी, ज्ञानी,मौनी मानक हो
हम हैं रज कण पर तुम साधक हो,
शांत सवेरा कड़े कर्म का
अग्निपथ के तुम धावक हो l

अस्तित्व शून्य का शौर्य बनाया
राह शूल का मूल घटाया,
चाह रही है तट पाने की
टूटी नैया के तुम माझी हो l

महेन्द्र कुमार राय
9935880999

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 474 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
****जिओंदा रहे गुरदीप साड़ा ताया *****
****जिओंदा रहे गुरदीप साड़ा ताया *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लेकिन वतन तू जिन्दाबाद रहे
लेकिन वतन तू जिन्दाबाद रहे
gurudeenverma198
सन्यासी का सच तप
सन्यासी का सच तप
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वक्त गुजर जायेगा
वक्त गुजर जायेगा
Sonu sugandh
"लावा सी"
Dr. Kishan tandon kranti
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तेरा - मेरा
तेरा - मेरा
Ramswaroop Dinkar
4576.*पूर्णिका*
4576.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
अफ़सोस
अफ़सोस
Dipak Kumar "Girja"
भइया
भइया
गौरव बाबा
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
शेखर सिंह
स्वयं को संत कहते हैं,किया धन खूब संचित है। बने रहबर वो' दुनिया के
स्वयं को संत कहते हैं,किया धन खूब संचित है। बने रहबर वो' दुनिया के
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
शायद मेरी सदा उसके दिल में उतर
शायद मेरी सदा उसके दिल में उतर
Shyam Sundar Subramanian
Lines of day
Lines of day
Sampada
पेड़ से इक दरख़ास्त है,
पेड़ से इक दरख़ास्त है,
Aarti sirsat
जहाँ केवल जीवन है वहाँ आसक्ति है, जहाँ जागरूकता है वहाँ प्रे
जहाँ केवल जीवन है वहाँ आसक्ति है, जहाँ जागरूकता है वहाँ प्रे
Ravikesh Jha
वर्षा
वर्षा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वो अपने बंधन खुद तय करता है
वो अपने बंधन खुद तय करता है
©️ दामिनी नारायण सिंह
दोस्त न बन सकी
दोस्त न बन सकी
Satish Srijan
बसंत का आगम क्या कहिए...
बसंत का आगम क्या कहिए...
डॉ.सीमा अग्रवाल
वसुत्व की असली परीक्षा सुरेखत्व है, विश्वास और प्रेम का आदर
वसुत्व की असली परीक्षा सुरेखत्व है, विश्वास और प्रेम का आदर
प्रेमदास वसु सुरेखा
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
जलाओ प्यार के दीपक खिलाओ फूल चाहत के
आर.एस. 'प्रीतम'
आत्म साध्य विचार
आत्म साध्य विचार
Neeraj Mishra " नीर "
..
..
*प्रणय*
Finding someone to love us in such a way is rare,
Finding someone to love us in such a way is rare,
पूर्वार्थ
एक पल सुकुन की गहराई
एक पल सुकुन की गहराई
Pratibha Pandey
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
Shweta Soni
क्या ?
क्या ?
Dinesh Kumar Gangwar
Loading...