माँ भारती का अंश वंश
माँ भारती का अंश वंश हूँ
जो चाहूं इतिहास रच दूँ।
युग के साथ चलता हूँ
समय का स्वाभिमान मैं
गढ़ दूँ।।
संघर्षों में जीता हूँ सहर्ष
स्वीकारता
चुनौती लाख आये पराजित
उसको मैं करता।।
तूफानों से लड़ता दिशा तूफानों कि मैं मोड़ता ।।
अडिग चट्टान हूँ ,चाहे कितनी
भी हो ज्वाला ना पिघलने वाला
फौलाद हूँ माँ भारती का अंश वंश फौलाद हूँ।।
आँगर हूँ ,काल
महाकाल विकट विकराल हूँ
हालात बदल जाते मेरे कदमों कि आहट से माँ भारती का नाज नूर नज़र भारत का नौजवान हूँ।।
आंख दिखाए यदि कोई
औकात बता देता
देता अग्नि पथ से निकलता
काल का भाल हूँ।। नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश