माँ बेटे का प्यारा किस्सा
दूध पिलाकर सींचा माँ ने
अपने दिल के टुकड़े को ।
देखो कैसे तरस रही है
एक नज़र उस मुखड़े को ।
कैसे बीता बचपन उसका
आओ तुम्हें बतायें हम ।
माँ बेटे का प्यारा किस्सा
आओ आज सुनायें हम ।
घौंटुन जब चलता था लालन
माँ को खूब भगाता था ।
ठुमुक ठुमुक कर थाम के उँगली
अपने खेल दिखाता था ।
माँ को खूब सताता हरदम
अपनी अदभुत बातों से ।
सीने से माँ के लग जाता
पौंछ के आँसू हाथों से ।
नन्हें नन्हें कदमों से जा
दूर कहीं छिप जाता था ।
ढूँढ ढूँढ थक जाती मैया
इतना नाच नचाता था ।
कान्हां कान्हां कह के मैया
फूली नहीं समाती थी ।
उसकी एक हँसी की ख़ातिर
ग़म अपना पी जाती थी ।
माँ बेटे का प्यार निराला
आँखों का वो तारा है ।
माँ ने इस ममता की ख़ातिर
अपना सब कुछ वारा है ।
धीरे-धीरे बढ़ता-बढ़ता
माँ के कद से बड़ा हुआ ।
लिखने को इतिहास नया कुछ
माँ का बेटा खड़ा हुआ ।
उसको तालीम मिले अच्छी
इस ख़ातिर ख़ुद से दूर किया।
करके सीने को पत्थर फिर
जीना भी मंज़ूर किया।
बड़ा गर्व है माँ को अपने
इस प्यारे से लालन पर ।
कभी न थकती देखो मैया
बेटे की तारीफ़ें कर।
आस लगाये बैठी दिल में
लाल मेरा घर आयेगा ।
हर पहलू मेरे जीवन का
आकर वो महकाएगा ।
अब तक माँ ने पाला उसको
अब वो फ़र्ज़ निभायेगा ।
खूब करेगा सेवा उनकी
हर दम हाथ बटायेगा ।
©✍ डॉ० प्रतिभा ‘माही’