माँ जैसा ना फरिसता कोई
सबसे सुंदर सबसे प्यारी मेरी माँ,
हर श्रय से लगती नियारी मेरी माँ I
माँ है यारों असल रुप भगवान का,
इस जैसी न मिले कोई दुनियां में छाँ।
माँ से बड़कर ना कोई और प्यार करें,.
इसके आगे तो फरिसते भी पानी भरें।
माँ के बिन लगे यह जग सुना-सुना,
प्यार से नहीं बुलाएं कोई कहके मुना।
माँ बच्चों के लिये अपनी जान लुटाये,
तकलीफ में भी यह बच्चों को हसाये।
हर दुख को माँ हंस कर ही सह जाती,
बच्चों को यह काला टिका है लगाती।
गिल्ल माँ की पुजा तो भगवान की पुजा,
माँ से बडकर का ना कोई फरिश्ता दुजा I
प्रभलीन कौर गिल्ल