माँ की कीमत
माँ शब्द में पूरा ब्रह्मांड समाया है,
किन शब्दों से करू बड़ाई माँ की नहीं समझ आया है,
कलम बनवा दू सभी जंगलो की और पूरे समंदर की स्हाई,
आसमान का बनवा दू कागज जब भी नहीं लिख सकता माँ की बड़ाई,
माँ ही मान है माँ ही सम्मान है और माँ ही भगवान है,
माँ के बिना नहीं जगत का कल्याण है,
माँ की कीमत उनसे पूछो जन्म देते ही जिनकी माँ रूठ जाती है,
शुरू होने से पहले ही आशा की किरण टूट जाती है,
बचपन में तो माँ के पीछे-पीछे ही घूमते गए,
आयी जवानी तो माँ को ही भूलते गए,
कितना भी दुःख हो नहीं याद आते बाप और भईया ,
ठोकर लगते ही याद आ जाती है मईया,
माँ के आशीर्वाद से आज पैरों पर खड़े हो गए,
माँ को ही धमका देते क्या माँ से भी बड़े हो गए,
अपनी गरीबी में माँ तूने मुझे कभी गरीबी का असहास नहीं होने दिया,
“सचिन नागर” का पेट भर दिया और माँ से ज्यादा किसी और पर विशवास नही होने दिया,
(सचिन नागर गांव जसाना फरीदाबाद हरियाणा)