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2 Apr 2022 · 1 min read

माँ की आराधना

मैं अकिंचन क्या भला करूं तेरी आराधना।
मैं अज्ञानी क्या भला तेरी करूं माँ वंदना।।
जगतजननी तू है माता जग की पालनहारी।
बीच भंवर मे नैया मेरी तू है खैबनहारी।।
मुरझाए दलपुंजो की तुम हो जीवनदाता।
हर उर तिमिर नव ज्ञान प्रकाश प्रदाता।।
बिना ज्ञान का दीप जलाए कैसे करूं मैं अर्चना।
इतनी कृपा करो हे माता नित मैं दर्शन पाऊं।।
धन वैभव का लोभ नहीं मैं तेरी शरण मैं आऊं।
पाप कर्म का सकल विश्व मे फैला है अंधकार।।
दमन दानवों का करने माँ धर काली अवतार।
प्रेम प्रकाश फैला दो जग में इतनी करूं मैं कामना।।
उमेश मेहरा

Language: Hindi
1 Like · 451 Views
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