माँ की अभिलाषा 🙏
माँ की अभिलाषा
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शिक्षा दीक्षा देती यतन से ।
कड़ी मेहनत मजदूरी कर
पाला पोषा जिम्मेदारी से
सूखी रोटी दो जून खाकर
सहारा ले पर्व उपवास का
मुंह दाना छोड़ कुछ बचा
गरीबी अभाव मजबूरी में
संतानों को शिक्षा देती माँ
जीवन तन बीता कष्टों में
पथ भरा रोड़े और कांटों
भविष्य सपना देखती है
अफ़सर कुर्सी आसन का
दाने विहीन दुखियारीन माँ
अमृत दूधपान करा संतान
नूतन संसार दिखाने माता
निज सुख करती शूल समर्पित
तेरी उड़ान को पंख देती है माँ
चलते वक्त दोनों यह कह जाते
बेटा बेटी निज चार धाम है
दया माया सृष्टि का सागर
ज्ञान भरा विद्या का गागर
बड़े यतन निज बगिया में
रंगीन प्रसून उगा सजाती है
श्रम पसीना बहाकर हंसता
जीवन शिक्षा दीक्षा वैभव देती
संस्कृति संस्कारों का निर्देशक
जन हितैषी तन मन समर्पित
निज संतानों सद् भाव भरती है
गर्व गर्वीली माँ की हैअभिलाषा
विश्व पटल लाल छाने की आशा
पूरी होती माँ की आस अरमान
विधि विधान योग्य सम्मान देता
आस्था कर्म विश्वास त्याग संघर्ष
तपस्या का प्रभु भी रखता मान
दूजे हित में निज हित अधिकारी
माँ की अभिलाषा तब पूरी होती
सोच समझ हे ! धरा की माता
कर्म फल जीवन सकून देता है
सत् सत् नमन करता हूँ जननी
प्रकृति सौंदर्य की नगीना हो माँ
धरा धरणी एक सहारा हो माँ
जग जन माता पूज्यनीय हो माँ ।
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तारकेशवर प्रसाद तरूण