माँ का महत्व
चलती फिरती सांसो
धड़कन की माँ साक्षात माँ
भाग्य ,भगवान जीती जागती।।
चाहे जो भी हो
दुख ,दर्द खुद सह जाती
संतान खुशहाल रहे
गरल भी पी जाती।।
खुद की चिंता नही
जीवन की
निधि, नियत संतान प्रधान
माँ पल प्रहर संचित संवर्धन
संतानों का ही करती जाती।।
अब यादों में ही माँ
भगवान की मूरत
छाया माँ की संग संग चलती जाती।।
उंगली पकड़ पाइया
पाइया चलना हर
वक्त साथ नज़र आती।।
अंधेरो में अपनी ज्योति से
राह दिखाती ।
माँ की लोरी ,गीत कानो
में आज गूँजते संग साथ का
एहसास कराती।।
चाहे जितने भी कष्ट
रहे हो संतानों
में मुस्कान जगाती
तू नही प्रत्यक्ष प्रतीक
प्रतिबिम्ब भी तेरा
संतानों को तेरी शिक्षा
मार्ग बताती।।
माँ तेरे चरणों मे ही स्वर्ग
तेरा आँचल ब्रह्मांड है सारा
तेरे आर्शीवाद का अब भी
सम्बल ,सहारा जीवन की
दौलत थाती।।
क्या सामर्पित कर सकता
श्रद्धा की अंजली भी तेरी
भाव भवना हृदय भी तेरा
मैं तो मात्र।
त्याग तपस्या की लौ बाती।।