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27 May 2023 · 1 min read

माँ का आँचल निराला ।

माँ के आँचल का एहसास निराला,
पकड़ के इर्द-गिर्द बचपन में घूमा,
आँचल में होता माँ का प्यार,
माँ वह देवी,माँ वह शक्ति।

ऐसी शक्ति नहीं जग के किसी शस्त्र में,
बच्चों के दर्द को खुद वह लेती,
माँ का आँचल सुरक्षा करता बचपन में,
दर्द सारे छू हो जाते पल भर में ।

तिनका आँखों में चुभता तनिक भी,
आँचल से माँ दूर कर देती एक क्षण में,
बह नही सकता आँसू की एक बूँद भी,
आँचल से माँ देती उनको पोछ।

धूप जो लगती राह में जब चलते,
ढ़क देती माँ अपने आँचल से,
बारिश हो या ठण्ड आ जाए,
माँ अपने आँचल से सबको दूर भगाये,

आँचल माँ का भंडार गृह से कम नहीं,
गाँठ बाँध रख लेती भोजन वह ,
बना देती आँचल को माँ बिछौना,
खेलता कभी लिपट के आँचल रूपी खिलौना।

कायनात लगती मुट्ठी में,
माँ के आँचल का कोना पकड़े जब रहते,
माँ के संग धीरे धीरे यूँ चलते,
मार्गदर्शन मिलता बचपन के पथ में।

अजनबी डराते यदि कहीं भी,
आँचल को ओढ़ छुपा देती बचाने को,
स्वर्ग भी बसता माँ के आँचल में,
माँ का आँचल इस जग से सुंदर है।

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 240 Views
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