माँगी है
बावफ़ा हैं तभी हमने भी वफ़ा माँगी है
मुस्कुराते हुए जीने की अदा माँगी है
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आसमां छू ले मगर छोड़े ज़मीं को न कभी
माँ ने बेटे के लिए ऐसी दुआ माँगी है
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इश्क़ में जितने हुए कैद कभी छूटे नहीं
अपनी खातिर ही दिवानों ने सज़ा माँगी है
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उसकी हिम्मत की मैं तारीफ़ करूंगा जिसने
बन के जुगनू मेरे मौला से ज़िया माँगी है
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आरज़ू है यही जां जाए तेरी बाहों में
क्या बुरा कर दिया जो ऐसी कज़ा माँगी है
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रजत