महिला दिवस
भारत माता कह बुलाते
अपने राष्ट्र का परिचय देते
दुर्भाग्य मगर भटकी पीड़ी का
महिला दिवस मानाने पड़ते
नारी शक्ति द्योतक है मानी
पवित्र गूंजती वेदों की वाणी
कैसे भूल संस्कार गए हम
और स्वयं से दूर हुए हम
माँ मातृभूमि की गाथा
वीर शिवाजी जिजावाई माता
दुर्गावती लक्ष्मीबाई से माथा
कल्पना संग सुनीता गगन पर
शक्ति प्रदर्शन राष्ट्रभक्ति पर
फिर क्यों गर्भ में मारी जाती
क्यों हवस का शिकार है बनती
जिसके स्तन पान से जीवित
नारी उसी से रौंदी जाती
आह ! नारी तू सौंदर्य प्रकृति
तू ही सृष्टि साज़ सजाती
तुझे प्रणाम करे संस्कृति
सबकुछ सह गले लगती