महाराणा प्रताप
मुग़लों के दाँत हुये खटे, मेवाड़ी राज पूतनो से
हल्दी घाटी हो गयी घायल, मुगल सिसोदिया राज घरानो से
बरछी भाल कटारी लेकर, चेतक के टँकारो से
राणा को तो मात मिली थी, अपने खूनी परिवारों से
घास की रोटी बिल्ली ले गयी, आरवली के घाटी से
अपने कर्त्तव्य से मुख नही मोड़ा, अपने वतन के माटी से
राणा साथ नहीं वह छोड़ा, हक़ीम खान मित्रता नहीं तोडा
अंतिम साँस लड़ा अफगानी, याद आया मुगलो की नानी
राणा प्रताप की लिखू कहानी
नया राज्य निर्माण किया था, चावड के मैदानों में
मुग़लो के दाँत हुये खटे, मेवाड़ी राजपूतानो से