Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2024 · 1 min read

“महापाप”

“महापाप”
आदि से अन्त तक
हर दौर में
उसी ने है तारी,
कन्या भ्रूण हत्या
होती रही तो
कहाँ से आएगी नारी?

1 Like · 1 Comment · 23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
Memories
Memories
Sampada
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
Vishnu Prasad 'panchotiya'
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
कार्तिक नितिन शर्मा
*वानर-सेना (बाल कविता)*
*वानर-सेना (बाल कविता)*
Ravi Prakash
तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर..
लक्ष्मी सिंह
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
Subhash Singhai
ख़त पहुंचे भगतसिंह को
ख़त पहुंचे भगतसिंह को
Shekhar Chandra Mitra
*चाल*
*चाल*
Harminder Kaur
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
कविता के हर शब्द का, होता है कुछ सार
Dr Archana Gupta
कृतज्ञता
कृतज्ञता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ये सफर काटे से नहीं काटता
ये सफर काटे से नहीं काटता
The_dk_poetry
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
Sonam Puneet Dubey
ये आरजू फिर से दिल में जागी है
ये आरजू फिर से दिल में जागी है
shabina. Naaz
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
समय सीमित है इसलिए इसे किसी और के जैसे जिंदगी जीने में व्यर्
Shashi kala vyas
"चक्र"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जिसे मैं ने चाहा हद से ज्यादा,
जिसे मैं ने चाहा हद से ज्यादा,
Sandeep Mishra
" एक थी बुआ भतेरी "
Dr Meenu Poonia
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Yu hi wakt ko hatheli pat utha kar
Sakshi Tripathi
तेरे ख़त
तेरे ख़त
Surinder blackpen
*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
रूप जिसका आयतन है, नेत्र जिसका लोक है
रूप जिसका आयतन है, नेत्र जिसका लोक है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
2299.पूर्णिका
2299.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शायरी
शायरी
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
ऐसी विकट परिस्थिति,
ऐसी विकट परिस्थिति,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
आज के समय में शादियां सिर्फ एक दिखावा बन गई हैं। लोग शादी को
पूर्वार्थ
मिट्टी के परिधान सब,
मिट्टी के परिधान सब,
sushil sarna
Loading...