महाकाल भोले भंडारी|
महाकाल भोले भंडारी,
नीलकंठ बाघंबरधारी।
मस्तक पर शीतल शशि शोभित,
सिर पे गंगा करती मोहित।
वैरागी कैलाशी शंकर,
भैरव इनका रूप भयंकर।
विरूपाक्ष हे कपालधारी,
महाकाल भोले भंडारी।
वामदेव सदाशिव स्वर्मयी,
पाशविमोचन भर्ग अव्ययी।
कलयुग दुष्टों को संहारो,
हे परमेश्वर सबको तारो।
अंबिकानाथ त्रिशूलधारी,
महाकाल भोले भंडारी।
पापों औ’ तापों के हारक,
शिवाप्रिय पशुपति जगपालक।
हे परमेश्वर आदि अनीश्वर,
उग्र कपाली काल गिरिश्वर।
दया करो नीलकंठधारी,
महाकाल भोले भंडारी।
-वेधा सिंह