Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jun 2023 · 1 min read

महसूस

मैं अपने संग में होता हुआ, दगा महसूस करता हूं
कभी कभी अपने आप को ठगा महसूस करता हूं

वोही छल करते हैं जिन्हें मैं सगा महसूस करता हूं
कभी कभी अपने आप को ठगा महसूस करता हूं

धोखे का खंजर दिल पर मैं लगा महसूस करता हूं
कभी कभी अपने आप को ठगा महसूस करता हूं

आजाद मंडौरी कई रात का जगा महसूस करता हूं
कभी कभी अपने आप को ठगा महसूस करता हूं

कवि आजाद मंडौरी

2 Likes · 189 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"बिन तेरे"
Dr. Kishan tandon kranti
शिकवा
शिकवा
अखिलेश 'अखिल'
4043.💐 *पूर्णिका* 💐
4043.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गई नहीं तेरी याद, दिल से अभी तक
गई नहीं तेरी याद, दिल से अभी तक
gurudeenverma198
वैशाख की धूप
वैशाख की धूप
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
Paras Nath Jha
57...Mut  qaarib musamman mahzuuf
57...Mut qaarib musamman mahzuuf
sushil yadav
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
आज का इंसान खुद के दुख से नहीं
Ranjeet kumar patre
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" आराधक "
DrLakshman Jha Parimal
किसी दर्दमंद के घाव पर
किसी दर्दमंद के घाव पर
Satish Srijan
नज़र चुरा कर
नज़र चुरा कर
Surinder blackpen
✍🏻Happy teachers day✍🏻
✍🏻Happy teachers day✍🏻
Neeraj kumar Soni
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Prakash Chandra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
rekha mohan
अरे! डॉक्टर की बीवी हो
अरे! डॉक्टर की बीवी हो
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्यासा के कुंडलियां (pyasa ke kundalian) pyasa
प्यासा के कुंडलियां (pyasa ke kundalian) pyasa
Vijay kumar Pandey
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
*कहाँ साँस लेने की फुर्सत, दिनभर दौड़ लगाती माँ 【 गीत 】*
Ravi Prakash
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
गर समझते हो अपने स्वदेश को अपना घर
ओनिका सेतिया 'अनु '
सृजन और पीड़ा
सृजन और पीड़ा
Shweta Soni
तुम रंगदारी से भले ही,
तुम रंगदारी से भले ही,
Dr. Man Mohan Krishna
मैं तो अंहकार आँव
मैं तो अंहकार आँव
Lakhan Yadav
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
जिसने बंदूक बनाई / कमलजीत चौधरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उदास धड़कन
उदास धड़कन
singh kunwar sarvendra vikram
प्रेम
प्रेम
Neeraj Agarwal
आपको देखकर _दिल को ऐसा लगा
आपको देखकर _दिल को ऐसा लगा
कृष्णकांत गुर्जर
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
Kshma Urmila
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
Dr fauzia Naseem shad
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
Loading...