महक रहा है
महक रहा अपने गुण से वह
लोगों ने मसला तोडा है ।
कांटो के संग पला बढा पर
फूल महकना कब छोड़ा है ।
लगी ठोकरे पग पग पर
हमने चलना कब छोड़ा है ।
लहरे हो विपरीत परिस्थिति
को मैंने लडकर मोड़ा है ।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र