Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

मर्यादा की लड़ाई

मर्यादा की लड़ाई

आज का रावण कौन है,
जानते समझते हुए भी सब मौन है
जल रहे सब अपनी ही मृग मरीचिकाओं में
इच्छाओं का स्वामी अब कौन है
काम क्रोध लालच की पताका लहरा रही
अंकुश लगाने वाला अब बचा ही कौन है।
अनेकों बार मरा है, फिर उठ उठ के जी गया,
हर युग में रावण आया,और हर युग में ही जीत गया।
स्वाभिमान की लड़ाई थी, अपनी अपनी मर्यादाओं पर बात बन आयी थी
एक और सूर्पणखा की इज्जत थी
उसकी नाक पर जो प्रहार ना होता
शायद देवी सीता का भी हरण ना होता।
अपनी अपनी इच्छाओं के कारण स्त्रियों को ही रौंदा गया,
फिर स्त्री का ही नाम लेकर युद्ध का आरंभ हुआ।
कमियाँ तो सब जगह थी
कहीं अहंकार हावी हुआ
कहीं स्वाभिमान हावी हुआ
बंधन था तो भी दुख
आज़ाद हुई तो भी दुख
दुख ही जीवन की कथा रही
क्या कहे अब जो नहीं कहीं ।
ना चाह रावण बनने की
ना चाह कठोर मर्यादा की
बन जाऊँ में बस सुघर इंसान
यही कामना है श्री राम
धन्यवाद
डॉ अर्चना मिश्रा

Language: Hindi
2 Likes · 115 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
फूलों से मुरझाना नहीं
फूलों से मुरझाना नहीं
Chitra Bisht
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
Raju Gajbhiye
रिश्ते प्यार के
रिश्ते प्यार के
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
भाषा
भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
वक्त-वक्त की बात है
वक्त-वक्त की बात है
Pratibha Pandey
शीर्षक - गुरु ईश्वर
शीर्षक - गुरु ईश्वर
Neeraj Agarwal
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Shyam Sundar Subramanian
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
●व्हाट्सअप ब्रांड●
●व्हाट्सअप ब्रांड●
*प्रणय*
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
Anup kanheri
छोड़ तो आये गांव इक दम सब-संदीप ठाकुर
छोड़ तो आये गांव इक दम सब-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
Rahul Singh
जीवन की नैया
जीवन की नैया
भरत कुमार सोलंकी
रात भर नींद भी नहीं आई
रात भर नींद भी नहीं आई
Shweta Soni
टमाटर के
टमाटर के
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Dr fauzia Naseem shad
क्यों इस तरहां अब हमें देखते हो
क्यों इस तरहां अब हमें देखते हो
gurudeenverma198
पगली
पगली
Kanchan Khanna
दोषी कौन?
दोषी कौन?
Indu Singh
आदि  अनंत  अनादि अगोचर निष्कल अंधकरी त्रिपुरारी।
आदि अनंत अनादि अगोचर निष्कल अंधकरी त्रिपुरारी।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कुछ लोग चांद निकलने की ताक में रहते हैं,
कुछ लोग चांद निकलने की ताक में रहते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
,,,,,,,,,,?
,,,,,,,,,,?
शेखर सिंह
3850.💐 *पूर्णिका* 💐
3850.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🚩अमर कोंच-इतिहास
🚩अमर कोंच-इतिहास
Pt. Brajesh Kumar Nayak
* मुस्कुराना *
* मुस्कुराना *
surenderpal vaidya
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
Manisha Manjari
"हाशिया"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...