*मरता लेता जन्म है, प्राणी बारंबार (कुंडलिया)*
मरता लेता जन्म है, प्राणी बारंबार (कुंडलिया)
मरता लेता जन्म है , प्राणी बारंबार
पुनर्जन्म से इस तरह , चलता है संसार
चलता है संसार , भाग्य के फल सब पाते
जैसे जिसके कर्म , पिता-माता मिल जाते
कहते रवि कविराय ,जटिल रचना प्रभु करता
तय सब अगला जन्म , मनुज जैसे ही मरता
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
पुनर्जन्म एक जटिल संरचना है । मनुष्य को उच्च से उच्चतर धरातल पर ले जाने के लिए प्रकृति माता-पिता ,परिवार और परिवेश उपलब्ध कराती है । व्यक्ति अनेक कर्म-बंधनों से छूटता है । प्रगति करता है । अनेक बार नए कर्म-बंधनों में बँध जाता है । फिर मृत्यु होती है ,फिर जन्म होता है । मुक्ति असाधारण अवस्था है। ( लेखक: रवि प्रकाश)