Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 1 min read

नींद, ख्वाब

नींद, ख्वाब
और ख्याल
हर्जाई है,
इनका, होना क्या
और… खोना क्या.!!!!

हिमांशु Kulshrestha

Language: Hindi
25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बोलो राम राम
बोलो राम राम
नेताम आर सी
21)”होली पर्व”
21)”होली पर्व”
Sapna Arora
कभी छोड़ना नहीं तू , यह हाथ मेरा
कभी छोड़ना नहीं तू , यह हाथ मेरा
gurudeenverma198
मोहब्बत
मोहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
रमेशराज के बालगीत
रमेशराज के बालगीत
कवि रमेशराज
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
*कौन-सो रतन बनूँ*
*कौन-सो रतन बनूँ*
Poonam Matia
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
'वर्दी की साख'
'वर्दी की साख'
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
“मत लड़, ऐ मुसाफिर”
“मत लड़, ऐ मुसाफिर”
पंकज कुमार कर्ण
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
झर-झर बरसे नयन हमारे ज्यूँ झर-झर बदरा बरसे रे
हरवंश हृदय
अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
धर्म की खूंटी
धर्म की खूंटी
मनोज कर्ण
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
Rajesh Kumar Arjun
मेरे उर के छाले।
मेरे उर के छाले।
Anil Mishra Prahari
ऐ ज़ालिम....!
ऐ ज़ालिम....!
Srishty Bansal
घाट किनारे है गीत पुकारे, आजा रे ऐ मीत हमारे…
घाट किनारे है गीत पुकारे, आजा रे ऐ मीत हमारे…
Anand Kumar
जो ख्वाब में मिलते हैं ...
जो ख्वाब में मिलते हैं ...
लक्ष्मी सिंह
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*नारियों को आजकल, खुद से कमाना आ गया (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
किसान की संवेदना
किसान की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
*प्रणय प्रभात*
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
घर में यदि हम शेर बन के रहते हैं तो बीबी दुर्गा बनकर रहेगी औ
घर में यदि हम शेर बन के रहते हैं तो बीबी दुर्गा बनकर रहेगी औ
Ranjeet kumar patre
ओ त्याग मुर्ति माँ होती है
ओ त्याग मुर्ति माँ होती है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
अपनी-अपनी दिवाली
अपनी-अपनी दिवाली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हम जियें  या मरें  तुम्हें क्या फर्क है
हम जियें या मरें तुम्हें क्या फर्क है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मृत्युभोज
मृत्युभोज
अशोक कुमार ढोरिया
खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है
खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है
VINOD CHAUHAN
एक तुम्हारे होने से...!!
एक तुम्हारे होने से...!!
Kanchan Khanna
Loading...