“मयकश बनके”
“मयकश बनके”
मयकश बनके रुसवा हुए जमाने में
मगर गम तो भुला दिए पैमाने में
इतना सुकून कहीं न मिला हमें
जितना मिला साकी तेरे मयखाने में।
“मयकश बनके”
मयकश बनके रुसवा हुए जमाने में
मगर गम तो भुला दिए पैमाने में
इतना सुकून कहीं न मिला हमें
जितना मिला साकी तेरे मयखाने में।