ममता करुणा नयन में,
ममता करुणा नयन में, उर में दया समाय ।
जननी तो पल में हरै, जो जीवन दुख आय ।।
जो जीवन दुख आय, गाय लोरी लै अंकन ।
शिशु वत्सल कहलाय, नेह का अद्भुत बंधन ।।
कह दीपक कविराय, बखानी जाय न समता ।
सब जग बरसै नेह, धरा पर पावन ममता ।।
दीपक चौबे ‘अंजान’