मन
मन तू इतना जज़्बाती क्यूं है
तूने इस दर्द को पकड़ा क्यूं है
कोई तेरी बात सुने या अनसुनी कर दे
तुझे उम्मीदों की इतनी चाह क्यूं है
तू तो बच्चा था,जब से मेरे साथ है
अब तुझे मुझसे बगावत क्यूं है
तू समझदार है,जानती हूं मैं
पर तेरी अपनों को परखने की आदत क्यूं है
हम हमेशा साथ है, साथ रहेंगे
तू चुप हो जा, हम भी शिकवा न करेगें
हम एक है, फिर ये शिकायत क्यूं है।