“मन”
“मन”
मन खड़ा चौराहे पर
देखे चारों ओर,
जिधर दिखे सुघड़-सलोना
भागे उसी ओर।
जब सुघड़-सलोना मिलयो
लागे न मन उस ओर,
फिर देखे दसों-दिशि
चले सुहाने ओर।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“मन”
मन खड़ा चौराहे पर
देखे चारों ओर,
जिधर दिखे सुघड़-सलोना
भागे उसी ओर।
जब सुघड़-सलोना मिलयो
लागे न मन उस ओर,
फिर देखे दसों-दिशि
चले सुहाने ओर।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति