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25 May 2023 · 1 min read

“मन भी तो पंछी ठहरा”

“मन भी तो पंछी ठहरा”
मिलना तो मन का होता
तन की क्या दरकार,
शायद तुम इस राह पर आए
पहली-पहली बार।
तन का क्या माटी से सिरजे
मन कंचन की खान,
पर मन भी तो एक पंछी ठहरा
उड़ते सकल जहान।

8 Likes · 5 Comments · 231 Views
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