मन प्यासा जल गागर में।
ग़ज़ल
काफिया- अर
रदीफ- में
बहर- बह्र ए मीर या मीर बहर
22 22 22 2
मन प्यासा जल गागर में।
जीवन के भवसागर में।
ईश्वर अल्ला दिल में है,
ढूंढे मस्जिद मंदर में।
जाए ना जो आया है,
दम है नहीं सिकंदर में।
खुद में डूब रहा है वो,
दिल के बड़े समंदर में।
नहीं गुलाटी भूल रहा,
फर्क न इंशा बंदर में।
डूब गए सो पार हुए,
गहरे प्रेम समंदर में।
पोथी में प्रेमी खोजे,
प्रेम है ढाई आखर में।
…….✍️ प्रेमी
इस बहर में 22 को 112/211/121 भी लिया जा सकता है, पर लय बाधित नहीं होनी चाहिए।